सभी भारतीय त्योहार अपने आप में विशेषता और रंगीनता से भरपूर होते हैं। उनमें से एक त्योहार है जो समृद्धि, एकता और सांस्कृतिक विविधता की मिसाल पेश करता है – “ओणम“. यह त्योहार खासकर केरल राज्य में मनाया जाता है और वहां की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ओणम त्योहार का इतिहास और महत्व
ओणम का इतिहास पौराणिक कथाओं और प्राचीन ग्रंथों से जुड़ा हुआ है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, ओणम भगवान विष्णु की वामन अवतार की खास पूजा के रूप में शुरू हुआ था। यह एक बार की बात है, जब दैत्य राजा बलि राजा बलि एक शक्तिशाली असुर राजा थे, जिन्होंने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी, और भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। वामन अवतार में भगवान विष्णु एक छोटे से बालक के रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने दान देने की बात मान ली, और वामन अवतार ने एक ही कदम में तीनों लोकों को नाप लिया। राजा बलि को पृथ्वी के नीचे पाताल लोक में भेज दिया गया, जहां वे आज भी हैं।ओणम इस विजय की खुशी में मनाया जाता है, जब लोग उत्सव और ध्यान के साथ आपसी भावना का आनंद लेते हैं।
ओणम त्योहार के आयोजन
ओणम के त्योहार के आयोजन में विभिन्न रंगीन और धार्मिक आयाम शामिल हैं। इसके दौरान, लोग अपने घरों की सजावट करते हैं। ओणम के त्योहार के दौरान घरों को सजाने के लिए, लोग आमतौर पर फूलों, रंगीन कागज़ और झंडे का इस्तेमाल करते हैं. वे अपने घरों में एक विशेष प्रकार का फूल भी लगाते हैं। जिसे अष्टपुष्पा कहा जाता है। अष्टपुष्पा को आठ प्रकार के फूलों से बनाया जाता है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक हैं।
ओणम त्योहार के परंपरागत पोशाक
ओणम में परंपरागत रूप से नरियल के पेड़ की पत्तियों से बने पोशाक पहने जाते हैं, जिन्हें “कसव” कहा जाता है। इन पोशाको को पहनने से लोग त्योहार की भावना में और भी गहराई तक रहते हैं।
ओणम त्योहार की विशेष परिक्रिया
ओणम की विशेष परिक्रिया में लोग अपने घरों को खूबसूरती से सजाते हैं। खासकर महिलाएं रंगीन फूलों से बने अलंकरण का आनंद लेती हैं, जिससे घर की खुशबू और खुशी समेटी जाती है। रंगीन फूलों से बने गोले जिन्हें “पुक्कलं” कहा जाता है, घर की सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं। यह परिक्रिया न केवल आपके घर कि सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि यह आपको ओणम के महत्वपूर्ण आयामों के प्रति भी जागरूक करती है।
ओणम त्योहार का भोजन
त्योहार के दौरान, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजनों की परिक्रिया होती है। विशेष रूप से, “साद्या” नामक विशेष खाद्य पदार्थ सर्व के लिए परोसे जाते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ, चावल,पापड़, और अन्य आवश्यक वस्त्राणुयों का समावेश होता है।
ओणम त्योहार का महत्वपूर्ण धार्मिक आयाम
ओणम का त्योहार केरल के लोगों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो केरल के लोगों के लिए एकता और समृद्धि का प्रतीक है। ओणम के त्योहार के दौरान, लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके आशीर्वाद मांगते हैं। वे भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं।
ओणम के त्योहार का धार्मिक आयाम बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसा त्योहार है, जो केरल के लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो केरल के लोगों को एकता और समृद्धि का संदेश देता है।
ओणम त्योहार के खेल और प्रतियोगिताएं
ओणम के त्योहार में विभिन्न प्रकार के खेल और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जैसे कि वल्लंमकाली और कबड्डी। ये खेल लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सार्वजनिक सहमति और सामूहिकता की भावना भी प्रदान करते हैं।
संदेश
ओणम का संदेश है कि हमें अपने समृद्धि और खुशियों को साझा करना चाहिए। यह हमें यह भी बताता है कि हमें पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए ताकि हम और आने वाली पीढ़ियाँ भी खुशियों का आनंद ले सकें।
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ओणम का महत्व क्या है?
ओणम का महत्वपूर्ण धार्मिक आयाम है जो सामूहिक एकता और सहयोग का संदेश देता है।
ओणम के त्योहार में कौन-कौन से खेल आयोजित किए जाते हैं?
ओणम के त्योहार में वल्लंमकाली और कबड्डी जैसे खेल आयोजित किए जाते हैं।
ओणम का क्या मुख्य संदेश है?
ओणम का मुख्य संदेश है कि हमें खुशियाँ साझा करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
कसव वस्त्र क्या है?
कसव वस्त्र ओणम में पहने जाने वाले परंपरागत नरियल के पेड़ की पत्तियों से बने वस्त्र होते हैं।
ओणम कब है?
ओणम अगस्त के महीने में 20 अगस्त से 31 अगस्त तक है।