नवदुर्गा से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य जो शायद आप नहीं जानते होंगे

Photo of author

By Anup Kumar Pd

navratri nav devi नवदुर्गा

नवदुर्गा

नवदुर्गा, भारतीय संस्कृति में मां दुर्गा की महत्वपूर्ण देवी के रूप में मानी जाती है। वह देवी है जिनकी विशेष पूजा नवरात्रि के अवसर पर की जाती है। इस लेख में, हम आपको नवदुर्गा से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य बताएंगे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे।

नवदुर्गा की महत्व

नवदुर्गा, जिसे नवरात्रि भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भारत में पूरे उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, आसाम, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली आदि राज्यों में मनाया जाता है। इसे चैत्र और आश्वयुज मास के नवरात्रि महीने में मनाया जाता है, जो लगभग सितंबर और अक्टूबर के बीच होते हैं।

इनका महत्व हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की पूजा के माध्यम से मनाया जाता है। यह त्योहार मां दुर्गा के आगमन के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने भगवान शिव की आशीर्वाद से देवी दुर्गा के रूप में असुरों को पराजित किया था।

नवदुर्गा के नौ रूप इन्हें खास बनाते हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल हैं। प्रत्येक रूप को एक विशेष दिन पर पूजा जाता है, और नवरात्रि के आखिरी दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जिसे भगवान राम ने रावण को पराजित करके मनाया था।

नवदुर्गा के दौरान समाज में धार्मिक और सामाजिक एकता की भावना भी बढ़ती है। लोग इस त्योहार के पर्व और मेलों में एक साथ आकर्षित होते हैं और मिलकर मां दुर्गा के महिमा का गुड़गान करते हैं।

नवरात्रि के दौरान, लोग व्रत और पूजा के माध्यम से अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं और मां दुर्गा की आराधना करते हैं। इसके साथ ही, नौ दिनों के दौरान लोग विभिन्न प्रकार की भोजन व्यंजन तैयार करके खाते हैं और दोस्तों और परिवार से मिलकर खुशियों का संदेश बाँटते हैं।

समर्पण और आदर्श भावना के साथ, नवदुर्गा का महत्व हिन्दू संस्कृति में गहरी रूप से निहित है और यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारतीय समाज में एकता, धर्मिकता, और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।

नवदुर्गा के नौ रूप

  1. शैलपुत्री: इस रूप में दुर्गा को हिमाचल प्रदेश की राजकुमारी के रूप में पूजा जाता है।
  2. ब्रह्मचारिणी: यह रूप विवाहिता के रूप में दुर्गा का प्रतीक होता है और विवाह के महत्व को दिखाता है।
  3. चंद्रघंटा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है
  4. कुष्माण्डा: इस रूप में दुर्गा को जीवन का स्रोत के रूप में पूजा जाता है, और वह ब्रह्माण्ड को पालती हैं।
  5. स्कंदमाता: इस रूप में दुर्गा को कार्तिकेय की मां के रूप में पूजा जाता है, और इसके माध्यम से मातृत्व का महत्व दिखाया जाता है।
  6. कात्यायनी: इस रूप में दुर्गा को महाकाली के रूप में पूजा जाता है, और उनके शक्तिशाली रूप को प्रकट किया जाता है।
  7. कालरात्रि: इस रूप में दुर्गा को रात की शक्ति के रूप में पूजा जाता है, और उनके भयानक रूप का महत्व दर्शाया जाता है।
  8. महागौरी: इस रूप में दुर्गा को शुभ और पवित्र शक्ति के रूप में पूजा जाता है।
  9. सिद्धिदात्री: इस रूप में दुर्गा को सिद्धियों की देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनकी आशीर्वाद से सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

नवदुर्गा की पूजा विधि

नवदुर्गा की पूजा विधान निम्नलिखित रूप में हो सकता है:

  1. पूजा स्थल की तैयारी:
    • पूजा स्थल को साफ़ सुथरा करें और सजाएं।
    • एक छोटी चौकी या मंदिर के लिए एक स्थान चुनें।
  2. कलश स्थापना:
    • एक कलश लें और उसे सजाएं।
    • कलश में पानी, सुपारी, आदि अन्य पूजा की वस्तुएं डाले ।
    • कलश को अच्छे वस्त्र से ढ़क दें और उसे पूजा स्थल पर रखें।
  3. मूर्ति स्थापना:
    • नवदुर्गा की मूर्तियों को सजाकर स्थापित करें।
    • धूप, दीपक, फूल, फल, नैवेद्य, और अर्चना सामग्री तैयार करें।
  4. पूजा अर्चना:
    • पूजा की शुरुआत मंगलाचरण से करें।
    • मां दुर्गा के मंत्र या स्तोत्र पढ़ें।
    • मूर्तियों का आरती उतारें और धूप, दीपक, फूल, और फल उनके समर्पित करें।
    • नैवेद्य के रूप में मां को प्रसाद चढ़ाएं।
  5. कथा पठन:
    • नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा कथा का पाठ करें।
  6. आरती:
    • पूजा के अंत में मां दुर्गा की आरती उतारें।
    • भक्ति भाव से आरती करें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
  7. प्रसाद वितरण:
    • पूजा के प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों को बाँटें।
  8. निर्वाचिता:
    • नवरात्रि के आखिरी दिन को दुर्गा विसर्जन के लिए तैयारी करें और मूर्तियों का विसर्जन करें।

नवदुर्गा की पूजा में श्रद्धा और भक्ति से काम करना महत्वपूर्ण होता है, और यह पूजा नौ दिनों तक ध्यान और व्रत के साथ मनाई जाती है। इसके द्वारा भक्त दुर्गा मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति करते हैं।

दुर्गापूजा और समाज

नवदुर्गा के पर्व के दौरान सामाजिक समृद्धि की प्राप्ति का भी माध्यम बनता है। यह समय है जब लोग सामाजिक संबंध बढ़ाते हैं, परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा का आनंद लेते हैं। इससे समाज में एक अच्छी भावना का माहौल बनता है और सामूहिक एकता की भावना फैलती है।

यह पर्व का महत्व समाज में सामाजिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी प्रमोट करता है। इस पर्व के दौरान, महिलाएं दुर्गा माता की पूजा करने में अग्रणी होती हैं और इसके माध्यम से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दिलाती हैं।

समाज में नवदुर्गा के पर्व का महत्वपूर्ण भूमिका होता है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक अखंडता को बढ़ावा देता है और समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच एकता की भावना को सशक्ति प्रदान करता है।

नवदुर्गा के प्रति हमारे मन में उठते कुछ खास प्रश्न

1. क्या नवदुर्गा का अस्तित्व वास्तविक है?

हां, नवदुर्गा का अस्तित्व वास्तविक है और वह भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण देवी हैं।

2. क्या नवदुर्गा का पूजा विधान विशेष होता है?

हां, नवदुर्गा की पूजा विशेष होती है और इसमें नौ दिनों का व्रत और आराधना शामिल होती है।

3. क्या नवदुर्गा के रूपों का महत्व है?

हां, नवदुर्गा के नौ रूपों का महत्व है और प्रत्येक रूप का अपना विशेष महत्व है।

4. क्या नवदुर्गा की पूजा का SONG गाया जाता है?

हां, नवदुर्गा की पूजा के दौरान उनके SONG गाए जाते हैं, जिनमें उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है। इसमें इनकी आरती और पचरा (एक विशेष प्रकार का आवाहन गीत) शामिल है।

5. क्या नवदुर्गा की आराधना से कोई लाभ होता है?

हां, नवदुर्गा की आराधना से व्यक्ति को आत्मा की शांति और सुख मिलता है, और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

1 thought on “नवदुर्गा से जुड़े कुछ ख़ास तथ्य जो शायद आप नहीं जानते होंगे”

Leave a Comment