स्त्री-प्रकृति जीवन का सबसे शक्तिशाली आयाम है। बिना स्त्रैण-ऊर्जा यानि शक्ति के अस्तित्व में कुछ भी नहीं होगा।
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स्त्री, पुरुष से निम्न है, ये सोच बेतुकी है। जब एक स्त्री किसी पुरुष को जन्म देती है, तो स्त्री निम्न और पुरुष ऊंचा कैसे हो सकता है।
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जो समाज स्त्री-प्रकृति को दबाता है, वह आध्यात्मिक दिवालियेपन से पीड़ित रहेगा।
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एक स्त्री को मर्दों की दुनिया में फिट होने की जरूरत नहीं है। वैसे भी आधी दुनिया तो उसकी होनी चाहिए।
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आकाश में सूर्य के दक्षिण की ओर बढ़ने के साथ ही चैतन्य के स्त्री रूप का उत्सव मनाने का समय आ जाता है।
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स्त्री-प्रकृति या स्त्रैण कोई लिंग नहीं है - यह एक आयाम है।
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नवरात्रि मनाने का सबसे उत्तम तरीका है कि इसे....
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