खाना बस रोजाना किया जाने वाला कोई सामान्य काम नहीं है। आपको इस पर बहुत ध्यान देना चाहिये। आज आपके शरीर को जितना खाना चाहिये तो आप उतना ही खाएं।
आभार के भाव के साथ खायें
हमें खाना ज़रूर चाहिये पर कृतज्ञता के भाव के साथ खाना चाहिये कि ये हमें पोषण दे रहा है, उसके स्वाद का आनंद लेते हुए इस भाव के साथ खाना चाहिये कि इसका हमारे जीवन के लिये कितना महत्व है!
जमीन पर पालथी लगा कर बैठें और खायें
ऐसे मनुष्य जिनके अंदर कुछ खास शक्तियाँ हों, प्राणप्रतिष्ठित स्थान और भोजन, इन सब के सामने कभी भी पैर खुले रख कर नहीं बैठना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से आपकी प्रणाली में गलत किस्म की ऊर्जा आती है।
अपने हाथ से खायें
जब आपके सामने खाना आये तो उस पर अपने हाथ कुछ पलों के लिये रख कर अनुभव कीजिये कि खाना कैसा है?अगर आप भोजन को हाथों से छूते नहीं हैं तो आपको पता नहीं चलता कि वो कैसा।
खाने को 24 बार चबायें
योग में कहते हैं, "जब आप खाने का एक कौर लेते हैं तो इसे 24 बार चबायें"। इसके पीछे बहुत सा विज्ञान है, पर मूल रूप से, ऐसा करने से हमारा भोजन मुँह में ही 'पचने के लिये तैयार' अवस्था में आ जाता है और शारीरिक प्रणाली को सुस्त नहीं बनाता।
खाते समय बातें न करें
जब हम खाते वक्त बहुत बातें करते हैं तब खाना गले में फँस सकता है. इसलिए हमें खाते समय बात नही करना चाहिए .