Mirza Ghalib Jayanti: 27 दिसंबर का दिन मिर्जा ग़ालिब की यादों में रंग जाता है। 1797 में आगरा में जन्मे इस शायर ने शब्दों को ऐसा जादू दिया, जो आज भी हमारे दिलों को छू लेता है। ग़ालिब की शायरी इश्क, दर्द, फानीपन और जिंदगी के हर पहलू को बयां करती है, वो हर किसी की जुबान पर चढ़ जाती है।
ग़ालिब की ज़िंदगी उतार-चढ़ाव से भरी थी। उन्होंने शाही महफिलों की शान देखी, तो ग़रीबी का तूफान भी झेला। लेकिन हर हाल में उनकी कलम ने उम्मीद का दीप जलाए रखा। उनकी शायरी में उर्दू ज़बान की सौंदर्यता निखार उठी, उन्होंने गहरे मतलब को सरल शब्दों में पिरोया।
“दर्द जो दिल में है, वो ज़बान पर आता नहीं, और जो आता है, वो दर्द नहीं होता।”
ये पंक्तियां ग़ालिब के दर्द और उनकी कला को खूबसूरती से बयां करती हैं। उन्होंने ज़िंदगी की हकीकत को बड़ी बेबाकी से उजागर किया, लेकिन उसमें भी एक खास नज़रिया, एक अलग अंदाज़ पिरोई।
“हुए हम तुमसे जुदा, फिर क्या हुआ, दिल ये मेरा शोर मचाता है। वो हँसते हैं, हमें रोते हैं देखकर, क्या ही अजीब रिश्ता है।”
इस शेर में ग़ालिब की मोहब्बत की गहराई और इश्क में मिली बेबसी झलकती है। उनकी शायरी हर किसी की ज़िंदगी के किसी न किसी पन्ने से जुड़ जाती है।
आज भी, ग़ालिब की शायरी युवाओं को आकर्षित करती है। उनकी ग़ज़लें सोशल मीडिया पर बड़े चाव से शेयर की जाती हैं। वो शायर नहीं, कहानीकार हैं, जिन्होंने अपने शब्दों में ज़िंदगी की कहानी लिखी है।
तो चलिए, आज ग़ालिब को याद करें, उनकी शायरी को सुने, और उनकी कला को दिल में बसाएं। “इश्क में बारिश की तरह, ज़िंदगी बरसे तेरी, ऐ ख़ुदा! बस यही दुआ है.”
Happy Mirza Ghalib Jayanti Photos, Images, Poster, WhatsApp Status and Banner Download




















































