Happy Birthday Nana Patekar: नए साल की पहली किरण के साथ दस्तक देता है एक ऐसे कलाकार का जन्मदिन, जिसने हिंदी सिनेमा में अपने किरदारों से रंग जमा दिए. जी हां, बात हो रही है नाना पाटेकर की, जिस नाम को सुनते ही आंखों के सामने घूम जाते हैं अनेकों चेहरे – कभी विद्रोही इंस्पेक्टर शेखर, कभी हंसते-गाते गांधी, कभी गुंडे के खोल में छिपा कलाकार और कभी संवेदनशील पिता. नाना का जन्मदिन सिर्फ उनके लिए खास नहीं, बल्कि हर फिल्मप्रेमी के लिए जश्न का मौका है.
नाना एक ऐसे हीरे की तरह हैं, जिन्हें तराशने की ज़रूरत नहीं, वो हर किरदार के सांचे में खुद को ढाल लेते हैं. उनकी डायलॉग डिलीवरी तो जैसे जादू करती है. कभी दबंगई में वो गर्जते हैं, तो कभी हास्य में ऐसे गुदगुदाते हैं कि हंसी के ठहाके थमने का नाम ही नहीं लेते. उनकी आंखों में कभी विद्रोह की चिंगारी झिलमिलाती है, तो कभी दर्द का समुद्र लहराता है. वो अपनी कला का ऐसा जाल बुनते हैं कि दर्शक भूल जाते हैं ये बस फिल्म का किरदार है, असल में नाना भी यही हो सकते हैं.
नाना का सफर भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. बचपन में ज़िंदगी की मुश्किलों से जूझते हुए पोस्टर पेंट करते हुए उनके दिल में कलाकार पनप रहा था. थियेटर से होते हुए उन्होंने बड़े पर्दे तक का सफर तय किया और हर मोड़ पर अपने अभिनय की छाप छोड़ते गए. उन्हें पहचान मिली खलनायक के किरदारों से, लेकिन वो सिर्फ खलनायक बनकर रह नहीं गए. उन्होंने ये साबित किया कि किरदार का कोई रंग नहीं होता, कलाकार ही उसे जान डालता है.
नाना के लिए अभिनय बस सीन करना नहीं है, वो किरदार के ज़हन में उतर जाते हैं, उसकी सांसें महसूस करते हैं, उसके जख्मों को समझते हैं. यही वजह है कि उनके किरदार इतने सच्चे, इतने ज़िंदा लगते हैं. वो एक फिल्म में हंसते-गाते हैं, तो दूसरी फिल्म में उनके डायलॉग आपके रोंगटे खड़े कर देते हैं. नाना ही वो हस्ती हैं जो एक पल में हास्य करते हैं तो दूसरे पल क्रोध की अग्नि जला देते हैं.
आज नाना के जन्मदिन पर बस यही कहेंगे: “Happy Birthday Nana, आप जैसे अनमोल कलाकार को सलाम!”. आपके अभिनय का जादू यूं ही चलता रहे, हर साल नए रंगों से खिलता रहे. जन्मदिन मुबारक नाना साहब!